बजट में लोगों की सेहत से सरकार ने किया खिलवाड़

बजट में लोगों की सेहत से सरकार ने किया खिलवाड़

सुमन कुमार

हर वर्ष बजट पेश होते समय देश के स्‍वास्‍थ्य क्षेत्र को आशा होती है कि सरकार नागरिकों की सेहत को लेकर गंभीरता दिखाएगी मगर यह दुर्भाग्‍यपूर्ण है कि देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्‍त मंत्री अपने पहले बजट भाषण में स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र को पूरी तरह भुला बैठीं। अगले दशक के लिए जो दस बिंदू उन्‍होंने संसद के सामने पढ़े उसमें जरूर आयुष्‍मान भारत और स्‍वस्‍थ जच्‍चा-बच्‍चा के जरिये स्‍वस्‍थ समाज की कल्‍पना उन्‍होंने एक पंक्ति में की मगर पूरे बजट भाषण में स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र को लेकर और कोई जानकारी देश के सामने रखना तक उन्‍होंने जरूरी नहीं समझा। अपने पूरे सवा दो घंटे के बजट भाषण में निर्मला सीतारमण सवा दो मिनट भी नागरिकों की सेहत के लिए नहीं निकाल पाईं। इससे इस सरकार की स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र को लेकर गंभीरता पता चलती है।

देश के च‍िकित्‍सकों का समुदाय वित्‍त मंत्री के इस रवैये से स्‍वाभाविक रूप से आहत महसूस कर रहा है। कहां तो पिछली मोदी सरकार ये दावा कर रही थी कि वो देश के सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) का कम से कम डेढ़ फीसदी हिस्‍सा नागरिकों की सेहत पर खर्च करेगी और कहां इस बजट में एक फीसदी हिस्‍सा भी स्‍वास्‍थ्‍य के लिए नहीं रखा गया है। अधिकृत आंकड़ों के अनुसार भारत का कुल सालाना जीडीपी 2.6 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है। भारतीय रुपये में बदलें तो ये आंकड़ा करीब-करीब 180 लाख करोड़ रुपये होता है। इस हिसाब से जीडीपी का एक फीसदी हिस्‍सा होता है एक लाख 80 हजार करोड़ रुपये। अब जरा वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट पर नजर डालें तो उन्‍होंने देश के स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र के लिए सिर्फ 62 हजार 398 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। यानी जीडीपी का करीब दशमलव 3 फीसदी हिस्‍सा देश के स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र को दिया गया है। इसमें से भी जिस आयुष्‍मान भारत योजना का ढोल पिछले तीन साल से केंद्र सरकार बजा रही है उस योजना के लिए इस बजट में सिर्फ 64 सौ करोड़ रुपये रखे गए हैं।

राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य बीमा योजना के लिए सिर्फ 156 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है और इस मद में निर्मला सीतारमण ने सीधे सीधे 1844 करोड़ रुपये की कटौती कर दी है।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2019-2020 के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र को 62,659.12 करोड़ रूपये देने की घोषणा की है। यह धनराशि वैसे बीते दो वित्तीय वर्षों में दी गई धनराशि से कहीं अधिक है। साल 2018-2019 के लिए पेश बजट में इस क्षेत्र को 52,800 करोड़ रुपये दिए गए थे। यानी स्वास्थ्य के लिए बजटीय आवंटन में इस बार 19 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

बजट में कहा गया है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में केंद्र सरकार की फ्लैगशिप योजना ‘आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ (एबी-पीएमजेएवाई) को 6,400 करोड़ रुपये दिए गए हैं जबकि स्वास्थ्य क्षेत्र का बजटीय आवंटन 60,908.22 करोड़ रुपये का है।

राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत ‘आयुष्मान भारत हेल्थ एडं वेलनेस सेंटर’ की स्थापना के लिए 249.96 करोड़ रुपये जबकि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत 1,349.97 करोड़ रूपयों का आवंटन किया गया है।

इस कार्यक्रम के तहत करीब 1.5 लाख उपकेंद्रों और प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों को 2022 तक हेल्थ एडं वेलनेस सेंटर्स में रूपांतरित किया जाना है। इन केंद्रों पर रक्तचाप,  मधुमेह,  कैंसर और जरावस्था से संबंधित बीमारियों का उपचार मुहैया कराया जाएगा।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के लिए 32,995 करोड़ रुपये दिए गए हैं जबकि बीते बजट में इस मद में 30,129.61 करोड़ रुपये दिए गए थे। इस मिशन के एक घटक ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना’ के लिए 156 करोड़ रुपये दिए गए हैं जबकि बीते साल इसमें 1,844 करोड़ रुपये दिए गए थे। यानी इस मद में कटौती की गई है।

सरकार ने राष्ट्रीय एड्स और यौन संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम के लिए बीते साल के आवंटित 2,100 करोड़ रुपये में 400 करोड़ रुपये का इजाफा करते हुए इसे 2,500 करोड़ रुपये कर दिया है।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को 3,599.65 करोड़ रुपये दिये गए हैं और गत वित्त वर्ष में इस संस्थान को 3,018 करोड़ रुपये दिये गए थे।

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम में दस करोड़ रूपये की कमी की गई है। इसका बजट बीते साल के 50 करोड़ रुपये की तुलना में 40 करोड़ रुपये किया गया है।

सरकार ने कैंसर, मधुमेह और कार्डियो-वस्कुलर बीमारी और दिल के दौरों की रोकथाम के लिए आवंटित राशि 175 करोड़ रुपये बताई है जबकि बीते साल यह आंकड़ा 295 करोड़ रुपये का था।

क्षेत्रीय देखभाल कार्यकम के कुल बजटीय आवंटन में 200 करोड़ रुपये की कमी की गई है। यह धनराशि बीते साल 750 करोड़ रुपये थी जिसे अब 550 करोड़ रूपये कर दिया गया है। 

नर्सिंग सेवाओं के उन्नयीकरण के लिए 64 करोड़ रुपये दिये गए हैं जबकि फार्मेसी स्कूल और कालेजों के उन्नयन को पांच करोड़ रुपये दिए गए हैं। जिला अस्पतालों और राज्य सरकारी मेडिकल कॉलेजों (परास्नातक सीटें) के उन्नयन के लिए 800 करोड़ रुपयों का प्रावधान किया गया है। 

सरकार ने जिला अस्पतालों को नए मेडिकल कॉलेज में तब्दील करने के लिए दो हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया है। इसके अलावा 1,361 करोड़ रुपये सरकारी मेडिकल कॉलेजों के लिए (स्नातक स्तर) दिए गए हैं साथ ही राज्य पैरामेडिकल साइंस संस्थान और पैरामेडिकल शिक्षा के कॉलेजों की स्थापना के लिए 20 करोड़ रुपये दिए गए हैं।

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